Mutual Funds are Subject to Market Risk

आपने Mutual Funds शब्द के साथ – साथ “Mutual Funds are Subject to Market Risk” यह शब्द भी सुना होगा। इसका हिंदी Market रिस्क क्या होता है में में अर्थ होता है की “म्यूच्यूअल फंड्स, मार्केट रिस्क्स/जोखिम के अधीन होते हैं”। कोई भी म्यूचुअल फंड कई निवेशकों से पैसा इकट्ठा करता है और उन पैसों को Stocks, Bonds, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स और अन्य प्रकार के प्रतिभूतियों (Securities) में निवेश करता है। यहाँ, Market Risk का तात्पर्य — ऐसे जोखिम जो, बाजार की स्थितियों के कारण आपके द्वारा निवेश किये संभावित रूप से कम कर सकते है। इनमें से कुछ जोखिम — Equity Risk, Interest Rate Risk, Currency Risk और Commodity Risk।
म्यूचुअल फंड पर Disclaimer बताता है कि म्यूचुअल फंड द्वारा किए गए निवेश पूरी तरह से जोखिम मुक्त नहीं हैं और निवेश के सामने आने वाले सभी बाजार जोखिमों के अधीन हैं।

Why are Mutual Funds subject to market risk?

सभी प्रतिभूतियों की तरह, म्यूचुअल फंड बाजार, या व्यवस्थित, जोखिम के अधीन हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि भविष्य में क्या होगा या किसी दी गई संपत्ति के मूल्य में वृद्धि या कमी होगी या नहीं, इसका अनुमान लगाने का कोई तरीका नहीं है। चूंकि बाजार की सटीक भविष्यवाणी या पूरी तरह से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, इसलिए कोई भी निवेश जोखिम मुक्त नहीं है।इसे भी पढ़े : What are direct mutual fund plans

Market Risk क्या है?

बाजार जोखिम सभी प्रकार के निवेशों में निहित जोखिम है जो बाजार की अस्थिर प्रकृति और सामान्य रूप से वैश्विक अर्थव्यवस्था के परिणामस्वरूप होता है। बाजार जोखिम केवल संभावना है कि बाजार या अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी, जिससे जारीकर्ता इकाई के परफॉरमेंस या फिर प्रोफिटेबिलिटी की परवाह किए बिना व्यक्तिगत निवेश का मूल्य कम हो जाएगा।

उदाहरण के लिए, 2008 के स्टॉक मार्केट क्रैश में, लगभग हर स्टॉक के मूल्य में गिरावट आई थी, इस तथ्य के बावजूद कि अधिकांश कंपनियों ने कुछ भी गलत नहीं किया था या किसी भी तरह से अपने संचालन में बदलाव नहीं किया था।

Types of Market Risk

बाजार जोखिम के कई घटक हैं जो विभिन्न प्रकार के निवेशों पर लागू होते हैं। बाजार जोखिम के सामान्य प्रकार हैं इक्विटी जोखिम, ब्याज दर जोखिम, ऋण जोखिम, मुद्रास्फीति जोखिम, सामाजिक-राजनीतिक जोखिम और देश जोखिम। कुछ प्रकार के निवेश कई प्रकार के बाजार जोखिम के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। म्यूचुअल फंड पर लागू होने वाले बाजार जोखिम का प्रकार उसके पोर्टफोलियो में रखी गई संपत्ति पर निर्भर करता है।

इक्विटी जोखिम शेयर बाजार में निवेश पर लागू होता है और उस जोखिम को संदर्भित करता है जो शेयर बाजार में कीमतों में बदलाव एक व्यक्तिगत निवेश को कम मूल्यवान बना सकता है जब मालिक बेचना चाहता है। इस प्रकार का जोखिम स्टॉक फंड पर दोगुना लागू होता है। सबसे पहले, म्यूचुअल फंड के मूल्य में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिससे शेयरधारक निवेश का मूल्य कम हो सकता है। इसके अलावा, स्टॉक फंड का मूल्य पूरी तरह से शेयरों के पोर्टफोलियो के बाजार मूल्य पर निर्भर करता है, जो बदले में इक्विटी जोखिम के अधीन भी होते हैं। इक्विटी जोखिम संतुलित फंडों पर भी लागू होता है जिसमें स्टॉक निवेश शामिल होता है।इसे भी पढ़े : elss mutual funds meaning in hindi

Interest Rate Risk –

ब्याज दर जोखिम – ऋण प्रतिभूतियों में निवेश पर लागू होता है, जैसे सरकारी और कॉर्पोरेट बांड्स। इस प्रकार का जोखिम इस संभावना से संबंधित है कि बढ़ती ब्याज दरें, जैसा कि फेडरल रिजर्व द्वारा निर्धारित किया गया है, मौजूदा बांडों को कम मूल्यवान बना देगा। इस प्रकार का जोखिम बॉन्ड फंड्स, मनी मार्केट फंड्स और बैलेंस्ड फंड को प्रभावित करता है।

Inflation risk, जैसा कि नाम का तात्पर्य है, वह जोखिम है जो धीरे-धीरे मुद्रास्फीति डॉलर के मूल्य को कम कर देगी और दीर्घकालिक निवेश के मूल्य को कम कर देगी। मुद्रास्फीति जोखिम मुख्य रूप से मनी मार्केट फंड के लिए एक मुद्दा है क्योंकि उनका रिटर्न इतना कम है कि वे समय के साथ मुद्रास्फीति Market रिस्क क्या होता है से आसानी से बाहर हो सकते हैं।

सामाजिक-राजनीतिक जोखिम इस संभावना को संदर्भित करता है कि युद्ध, आतंक के कृत्यों या राजनीतिक चुनावों जैसी घटनाओं का सामान्य रूप से बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसी तरह, देश जोखिम एक ही घटना को संदर्भित करता है, लेकिन केवल उन घटनाओं पर लागू होता है जो विदेशी देशों में निवेश को प्रभावित करते हैं। विशिष्ट उत्पाद के आधार पर, इस प्रकार के बाजार जोखिम किसी भी म्यूचुअल फंड पर लागू हो सकते हैं क्योंकि वे सामान्य रूप से यू.एस. या विदेशी बाजारों को प्रभावित करते हैं, जो बदले में फंड के पोर्टफोलियो के भीतर इक्विटी और ऋण परिसंपत्तियों को प्रभावित करते हैं।

'लिक्विडिटी रिस्क' क्या है, निवेश में क्यों इसे ध्यान रखने की जरूरत है?

इस तरह के जोखि‍म का क्‍या मतलब है?

जब अपने निवेश को आप अपनी इच्छा से जब चाहे नहीं बेच पाते हैं या इसमें दिक्कत आती है तो उस खतरे को लिक्विडिटी रिस्क कहते हैं. पैसे की जरूरत पड़ने पर कभी-कभी तो कम पैसे में आपको अपने इस निवेश को निकलना पड़ता है.

किस तरह के निवेश में लिक्विडिटी कम होती है?

किस तरह के निवेश में लिक्विडिटी कम होती है?

रियल एस्टेट या आर्ट जैसे कुछ निवेश में यह समस्या रहती है. अपनी मर्जी से जब चाहे आप इन्हें बेच नहीं सकते हैं. इस मार्केट का वॉल्यूम बहुत कम होता है. खरीदार ढूंढने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है.

क्यों लिक्विडिटी में कमी का सामना करना पड़ता है?

क्यों लिक्विडिटी में कमी का सामना करना पड़ता है?

कई कारणों से रिटेल निवेशकों के लिए कॉरपोरेट डेट मार्केट में लिक्विडिटी की कमी आती है. खरीदार बाजार से गायब हो जाते हैं. जो बॉन्ड खरीदने के इच्छुक भी होते हैं, वे इनकी कम कीमत देना चाहते हैं.

लॉक-इन अवधि के मामले में क्या हाेता है?

लॉक-इन अवधि के मामले में क्या हाेता है?

कुछ इंस्ट्रूमेंट में न्यूनतम लॉक-इन अवधि हो सकती है. यानी एक तय समय तक इनमें से पैसा नहीं निकाला जा सकता है. बैंक एफडी और म्यूचुअल फंडों की टैक्स सेविंग स्कीमें (ELSS) इन्हीं में से एक हैं.

क्या शेयर बाजार में लिक्विडिटी रिस्क हाेता है?

क्या शेयर बाजार में 'लिक्विडिटी रिस्क' हाेता है?

शेयर बाजार में काफी ज्यादा लिक्विडिटी होती है. हालांकि, कुछ कंपनियों के शेयरों की ट्रेडिंग रफ्तार में नहीं होती है. इनके साथ भी लिक्विडिटी का जोखिम होता है.

(इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.)

Web Title : what is liquidity risk in investments what you should know
Hindi News from Economic Times, TIL Network

म्यूचुअल फंड में निवेशकों को किस तरह के रिस्क (जोख़िम) होते हैं?

म्यूचुअल फंड में निवेशकों को किस तरह के रिस्क (जोख़िम) होते हैं?

म्यूचुअल फंड उन सेक्यूरिटीज़ में निवेश करते हैं जो अलग-अलग मार्केट में लेन-देन करते हैं जैसे स्टॉक, बॉन्ड, गोल्ड या दूसरी एसेट क्लासेस। किसी भी बिकाऊ सेक्युरिटी पर स्वाभाविक तौर पर बाज़ार (मार्केट) रिस्क का असर होता है, मतलब सेक्युरिटी की कीमत बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव के अधीन होती है। इंटरेस्ट रेट में बदलाव बॉन्ड की कीमत पर उल्टा असर डालता है और साथ ही डेट फंड के NAVs पर भी। इसलिए, डेट फंड सबसे ज़्यादा इंटरेस्ट रिस्क का सामना करते हैं।

उनमें क्रेडिट रिस्क (बॉन्ड जारीकर्ता के डिफॉल्ट होने का जोखिम) भी होता है। कुछ नियमित इनकम देने वाले डेट फंड्स पर महंगाई का असर भी पड़ता है मतलब उनका दिया गया मुनाफा निवेशक द्वारा अनुभव की गई महंगाई की भरपाई नहीं कर पाते हैं। इक्विटी फंड्स बाजार जोख़िम का सामना करते हैं क्योंकि वे मार्केट में स्टॉक ट्रेडिंग में निवेश करते हैं और स्टॉक की कीमत में उतार-चढ़ाव इन फंडों के NAV पर असर डालते हैं। कुछ सेक्यूरिटीज़ की बाजार में बार-बार खरीद-बिक्री की जाती है जबकि दूसरों की नहीं। अगर म्यूचुअल फंड ने आपके पैसे किसी ऐसी सेक्यूरिटीज़ में निवेश किए हैं जिनकी अक्सर खरीद-बिक्री नहीं की जाती है, तो फंड के लिए सही समय पर सही कीमत में सेक्युरिटी को खरीदना या बेचना मुश्किल हो सकता है।

यह लिक्विडिटी रिस्क है जो फंड के पोर्टफोलियो के अंदर लेनदेन की कीमत बढ़ा देता है, जिससे आपके फंड के NAV पर असर पड़ता है इसलिए म्यूचुअल फंड से जुड़े रिस्क (जोख़िम) निवेश किए गए एसेट के प्रकार पर निर्भर करते हैं।

निवेश से जुड़े जोखिम को समझिए इन 9 आसान टिप्स के जरिए

महंगाई आपके रिटर्न को चट कर जाती है. महंगाई को मात देने के लिए जीवन के किसी भी पड़ाव में आप इक्विटी से मुंह नहीं मोड़ सकते हैं.

photo (3)

हाल में आयोजित ET Wealth Investment Workshop में मणिकरण शिरकत करने पहुंचे थे. उन्होंने अलग-अलग तरह के निवेश इंस्ट्रूमेंट से जुड़े जोखिमों के बारे बताया. साथ ही इनसे निपटने के तरीके भी सुझाए.

1. मार्केट रिस्क : यह जोखिम शेयर बाजार की अस्थिरता से जुड़ा है. इसमें आपके निवेश के मूल्य को खतरा होता है. मणिकरण कहते हैं, "इस तरह के जोखिम से निपटने का सबसे आसान तरीका डायवर्सिफिकेशन है. अपनी जरूरत के अनुसार इक्विटी, डेट, गोल्ड, रियल एस्टेट जैसे अलग-अलग एसेट क्लास में अपने निवेश को डायवर्सिफाई किया जा सकता है."

2. इंफ्लेशन रिस्क : इंफ्लेशन यानी महंगाई को मणिकरण धीमा जहर करार देते हैं. महंगाई आपके रिटर्न को चट कर जाती है. महंगाई को मात देने के लिए जीवन के किसी भी पड़ाव में आप इक्विटी से मुंह नहीं मोड़ सकते हैं.

3. इंटरेस्ट रेट रिस्क : यह जोखिम ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव के कारण पैदा होता है. सिंघल मानते हैं कि डेट प्रोडक्टों को समझ लेने पर इस जोखिम को मैनेज किया जा सकता है. पीपीएफ के साथ भी ब्याज दर का जोखिम होता है. कारण है कि यह भी मार्केट से जुड़ा है.

4. करेंसी रिस्क : यह जोखिम अंतरराष्ट्रीय निवेश से जुड़ा होता है. सिंघल ने कहा, "2017 में उन पोर्टफोलियो का रिटर्न अच्छा रहा जिनमें घरेलू फंडों के मुकाबले अमेरिकी इंटरनेशनल फंड थे. जोखिम को कम करने के लिए इंटरनेशनल फंडों में निवेश किया जा सकता है. यह भारतीय रुपये के कारण निवेश में होने वाली उठापटक के जोखिम से बचाने में मददगार होता है."

5. क्रेडिट रिस्क : IL&FS और DHFL जैसी ट्रिपल ए (एएए) रेटिंग वाली कंपनियों के हालिया संकट के कारण यह जोखिम इन दिनों काफी चर्चित है. यह जोखिम आपको केवल तभी लेना चाहिए जब आप इसके नतीजों से वाकिफ हों.

6. सेक्टर रिस्क : जब आप किसी खास सेक्टर में निवेश करते हैं तो केंद्रीकरण यानी कॉन्सेन्ट्रेशन का जोखिम रहता है. इस जोखिम को कम करने के लिए तमाम सेक्टरों में निवेश को फैला देना चाहिए. सेक्टर रिस्क को कम करने के लिए म्यूचुअल फंडों का भी सहारा ले सकते हैं.

7. हेल्थ रिस्क/ज्यादा जीने का जोखिम : देश में चिकित्सा सुविधाएं तेजी से बढ़ रही हैं. इसने औसत उम्र में इजाफा किया है. सिंघल ने वर्कशॉप में हिस्सा लेने पहुंचे लोगों से सवाल किया, "मान लेते हैं कि आपने फाइनेंशियल प्लानिंग करते हुए माना कि 80 साल जीवित रहेंगे. लेकिन, तब क्या होगा अगर आप 90 साल जीते हैं? अतिरिक्त 10 सालों के लिए कौन भुगतान करेगा? क्या आप इसके लिए तैयार हैं?" फिर सिंघल ने खुद इसका जवाब दिया. कहा, "आपका हेल्थ इंश्योरेंस एक सीमा तक आपकी जरूरतों की देखभाल करता है. आपको एक हेल्थ प्लान बनाना चाहिए. इस जोखिम से नहीं बचा जा सकता है."

8. लाइफस्टाइल रिस्क : सिंघल ने कहा कि इन दिनों कई लोग अपने पड़ोसियों या दोस्तों से प्रभावित होते हैं. ये अपने बजट Market रिस्क क्या होता है के अनुसार नहीं खर्च करते हैं. यह लाइफस्टाइल रिस्क है. ऐसा तब होता है, जब आप अपनी चादर से ज्यादा पांव फैलाते हैं. सिंघल कहते हैं कि फाइनेंशियल प्लानिंग बजट बनाने से शुरू होती है. जब आप बजट से चलते हैं तभी आपके पास निवेश के लिए पैसा बचता है. इसी से आप लाइफस्टाइल रिस्क को मैनेज कर सकते Market रिस्क क्या होता है हैं.

9. व्यवहार से जुड़ा जोखिम : जब आप केवल रिटर्न की अपेक्षा के साथ निवेश करते हैं और नुकसान उठा बैठते हैं तो हतोत्साहित हो जाते हैं. तब आप निवेश को रोकने के बारे में सोचने लगते हैं. यही व्यवहार से जुड़ा जोखिम है. अपने रिस्क प्रोफाइल को समझकर इस तरह के जोखिम से बचा जा सकता है.

हिंदी में पर्सनल फाइनेंस और शेयर बाजार के नियमित अपडेट्स के लिए लाइक करें हमारा फेसबुक पेज. इस पेज को लाइक करने के लिए यहां क्लिक करें.

Risk Market रिस्क क्या होता है management rules and risk reward ratio kya hota hai

आप पैसा कमाने के लिए बिजनेस करते हैं तथा stock market में निवेश और ट्रेडिंग करते हैं इसलिए आप उसमे जो पैसा लगाते वह डूबे ना, इसके लिए आपको Risk Management सीखना चाहिए।आज की पोस्ट में, Stock market me risk management rules and risk reward retio kya hota hai ? इसके बारे में बताया जायगा।

Stock m kya hota hai arket me risk management tatha risk reward ratio

बहुत से ट्रेडर अपने अकाउंट साइज को देखे बिना ट्रेडिंग को उत्सुक रहते हैं तथा एक ट्रेड में ही बहुत ज्यादा पैसा कमाने की कामना करते हैं। इस प्रकार के ट्रेड को ट्रेडिंग नहीं Gambling कहते हैं।
यदि आप risk management rules के बिना ट्रेड करते हैं तो आप Gambling करते हैं। आप long-term return नहीं देखते अपने निवेश पर आप jackpot के चक्कर में रहते हैं। मनी मैनेजमेंट रूल्स केवल आपके मनी को प्रोटेक्ट ही नहीं करते बल्कि आपको लॉन्ग टर्म में काफी प्रॉफिट भी देते हैं। आपको बहुत ही अच्छा statistician होना चाहिए gambler नहीं तभी आप लम्बे समय में विनर बन सकते हैं तथा आपको मनी मैनेजमेंट रूल्स का सख्ती से पालन करना चाहिए।

पूंजीकरण (Capitalization) :

ये तो आप सभी जानते हैं कि पैसे से पैसा बनता है लेकिन ट्रेडिंग स्टार्ट करने से पहले आपका stock market के व्यवहार के बारे मे सीखना जरूरी है तथा आपको Risk management rules का सख्ती से पालन करना चाहिए जैसे -आपके ट्रेडिंग अकाउंट में 20,000रूपये हैं तथा आप एक ट्रेड में 2 % का रिस्क लेते हैं तो एक ट्रेड में लॉस होने पर आपके अकाउंट से चार सौ रूपये कम होगे तथा 10 % का रिस्क लेने पर 2000 रूपये कम होंगे। इस प्रकार आप 2 % और 10 % का रिस्क का अंतर समझ सकते हैं।
ब्रोकर रिटेल ट्रेडर को फंड भी उपलब्ध करवाते हैं जिसे मार्जिन मनी (margin money ) कहते हैं लेकिन आपको उससे जल्दबाजी में ट्रेडिंग स्टार्ट नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसमें रिस्क बहुत ज्यादा होता है इसमें आपको अपनी पोजीशन ना चाहते हुए भी कटनी पड़ सकती है। यदि आपके पास फिलहाल money नहीं है तो आपको मनी save करके, उसके बाद ही ट्रेडिंग शुरू करनी चाहिए। What is Stock Broker and Brokrage fee-in Hindi

Draw down:

यदि आप लगातार अठारह -उन्नीस ट्रेड में मनी lose करेंगे तो आप अपने अकाउंट का 85 % तक मनी का नुकसान कर लगे। इसे ही draw down कहते हैं। इससे बचने के लिए risk management rules का सख्ती से पालन करना चाहिए।
नुकसान से बचने के लिए आपका एक trading system होना चाहिए तथा यह कम से कम 70 % प्रोफिटेबल होना चाहिए यानि कि आपके दस में से सात ट्रेड प्रोफिटेबल होने चाहिए। आपका एक ट्रेडिंग प्लान होना चाहिए जिसे आपको रिस्क मेनेजमैंट रूल्स के साथ काम में लेना चाहिए। Draw down ट्रेडिंग का एक पार्ट है लेकिन आपको अपने पैसे के बहुत कम प्रतिशत का ही रिस्क लेना चाहिए, आखिर आप यहाँ पैसे कमाने आये हैं, गवांने नहीं। यदि आप Risk management rules का पालन करेंगे तो आप हमेशा विनर रहेंगे।

Risk Reward Ratio:

रिस्क रिवार्ड रेश्यो वह पैरामीटर है जो ट्रेडर ट्रेड करते समय रिवर्ड के अनुपात में रिस्क भी उठता है। जैसे -कि यदि आप दो सौ रूपये का रिस्क उठाते हैं और चार सौ रूपये कमाना चाहते हैं तो इसे 1:2 का रिवार्ड रेश्यो कहते हैं। इसी प्रकार यदि आप पाँच सौ रूपये का रिस्क उठाते हैं तथा पन्द्रह सौ रूपये का रिवार्ड चाहते हैं तो इसे 1:3 का रिवार्ड रेश्यो कहते हैं।
मान लीजिये आप दस ट्रेड करते हैं तथा पाँच ट्रेड में प्रत्येक में एक हजार रूपये का नुकसान करते हैं तथा पाँच ट्रेड में प्रत्येक में तीन हजार रूपये का प्रॉफिट करते हैं प्रकार आप 50 % विनर रहते हैं तथा कुल मिलाकर पाँच ट्रेड में पांच हजार रूपये का नुकसान तथा 1500 हजार रूपये का प्रॉफिट कमाते हैं। इस प्रकार पॉँच हजार के लॉस को निकलकर भी आप दस हजार रूपये का प्रॉफिट कमाते हैं। इसमें 1:3 का रिस्क रिवार्ड रेश्यो है।
ट्रेडिंग के दौरान ट्रेडर को रिस्क कम और रिवार्ड ज्यादा का रेश्यो रखना चहिये तथा1:3 का रिवार्ड रेश्यो अच्छा रहता है, ज्यादा रिस्की ट्रेड को अवॉयड करना चाहिए। बहुत से अनुभवी ट्रेडर तभी ट्रेड करते हैं जब रिवार्ड रेश्यो 1:5 या इससे अधिक हो। हाई अच्छे रिस्क रिवार्ड रेश्यो के लिए ट्रेडर को इंतजार करना चाहिए तथ जब risk reward ratio अपने अनुकूल हो तभी ट्रेड करना चाहिए। इसी को risk management rules को फॉलो करना कहते हैं
यह सही है कि पैसे से पैसा बनता है, लेकिन आपको ट्रेडिंग स्टार्ट करने से पहले उस पर अच्छी तरह पकड़ बना लेनी चाहिए यानि कि अच्छी तरह सीख कर शुरुआत करनी चाहिए। आपको वो सभी कोशिश करनी चाहिए जिनसे आप अपने अकाउंट को प्रोटेक्ट कर सकते हैं। आपको अपने अकाउंट के स्मॉल पर्सेंटेज का ही रिस्क उठाना चाहिए जिससे आप लम्बे समय तक सर्वाइव कर सकें।
आशा है कि अब आप अच्छी तरह समझ गए होंगे कि Risk management rules and reward ratio kya hota hai . उम्मीद है आज की प्रेरणादायी पोस्ट आपको जरूर पसंद आयी होगी, ऐसी ही प्रेरणादायी पोस्ट पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर कीजिये।

एक रिक्वेस्ट है, प्लीज़ इस आर्टिकल में दिखाये गये किसी एक विज्ञापन पर किल्क अवश्य करें क्योंकि यह बिल्कुल फ्री है। जिससे इस साइट के मेंटिनेंस के लिए कुछ अर्निग्स भी हो सके। धन्यवाद

इस पोस्ट से सम्बन्धित कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर भेजें तथा यदि आपको यह पोस्ट पसंद आयी हो तो इसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।
Opening and closing time of stock market in India
Stop Loss कहाँ तथा कैसे लगायें - Stop loss in trading
What is Stock Broker and Brokrage fee-in Hindi
What is Demat Account and how to open Demat Account -in Hindi
Warren Buffet biography in Hindi

रेटिंग: 4.37
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 236