सामान्य तौर पर, कमोडिटी को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है.

UNICWORLDHINDI

future and option ट्रेडिंग ये एक डेरीवेटिव होते हे। और ये कॉन्ट्रैक्ट होता हे जिसकी एक्सपायरी होती हे। फ्यूचर और ऑप्शन को मार्किट में लानेका उदेश्य risk managment के लिए हे ,लेकिन दोनों में बहुत फरक हे ,फ्यूचर और ऑप्शन दोनों अलग अलग फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स के प्रकार कॉन्ट्रैक्ट्स या derivetives हे। और ये सिर्फ ट्रेडिंग के लिए बनाये गए हे।

फ्यूचर मार्किट एक फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट होता हे। जैसे की हमें लगता हे शेयर का प्राइज फ्यूचर में बढ़ेगा तो हम उस स्टॉक को खरीद लेते हे और फायदा होने पे बेच देते हे। लेकिन इसकी एक्सपायरी होती हे जोकि हमें हमारा शेयर एक्सपायरी के पहले बेचना फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स के प्रकार होता हे। चलो अभी इसे एक उदाहरन लेके समजते हे –

example

जैसे की एक किसान ने अपने खेत में आलू लगाया हे। और आलू की कीमते घटती बढाती रहती हे तो उस किसान को चिंता रहती हे की मेरे आलू को बाजार में क्या फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स के प्रकार भाव मिलेगा। क्युकी उसको आलू उगने में १० रु का खर्च्या आया हे. तो उसे लगता हे की मुझे २० या २५ रु मिल जाये तो बहुत बढ़िया रहेगा। यह सोचकर वो बाजार में चला जाता हे। और उसी बाजार में व्यापारी भी होते हे। उन्हें भी आलू लेने होते हे उनको लगता हे की कम से कम दाम में हमें आलू मिल जाये तो अच्छा रहेगा। क्युकी उन्हें भी आगे बाजार में उन आलू को ज्यादा भाव में बेचकर प्रॉफिट कमाना हे।

call & put options

option में प्रकार होते हे एक होता हे call option और एक होता हे put option . पहला call option में call के अंदर खरीदना मतलब आप तेजी की फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स के प्रकार फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स के प्रकार ओर हे और कॉल के अंदर बेचना मतलब आप मंदी की ओर हे। और वैसे हे दूसरा put option में put के अंदर खरीदना मतलब आप मंदी की ओर हे ,और अगर आप put के अंदर कोई स्टॉज बेचते हो तो इसका मतलब आप तेजी की तरफ हे.और इन दोनों की भी एक्सपायरी निच्छित होती हे।

फ्यूचर और ऑप्शन में ट्रेडिंग करके के लिए आपको technical analysis को समझने की बाहर जरुरत होती हे ,इससे आपको ट्रेडिंग में मदत होगी की चार्ट को कैसे देखते हे ट्रेंड लाइन क्या होती हे जो की ट्रेडिंग के लिए बहुत महत्व पूर्ण में अगर आपको technical analysis kya hota he समझना हे तो आप मेरी पिछली पोस्ट में जाकर पढ़ सकते हे उसमे मैंने पुरे डिटेल्स में समझाया हे की टेक्निकल एनालिसिस क्या होता हे और कैसे किया जाता हे वो सभी बाटे उस पोस्ट में लिखी हे .

UNICWORLDHINDI

future and option ट्रेडिंग ये एक डेरीवेटिव होते हे। और ये कॉन्ट्रैक्ट होता हे जिसकी एक्सपायरी होती हे। फ्यूचर और ऑप्शन को मार्किट में लानेका उदेश्य risk managment फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स के प्रकार के लिए हे ,लेकिन दोनों में बहुत फरक हे ,फ्यूचर और ऑप्शन दोनों अलग अलग कॉन्ट्रैक्ट्स या derivetives हे। और ये सिर्फ ट्रेडिंग के लिए बनाये गए हे।

फ्यूचर मार्किट एक फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट होता हे। जैसे की हमें लगता हे शेयर का प्राइज फ्यूचर में बढ़ेगा तो हम उस स्टॉक को खरीद लेते हे और फायदा होने पे बेच देते हे। लेकिन इसकी एक्सपायरी होती हे जोकि हमें हमारा शेयर एक्सपायरी के पहले बेचना होता हे। चलो अभी इसे एक उदाहरन लेके समजते हे –

example

जैसे की एक किसान ने अपने खेत में आलू लगाया हे। और आलू की कीमते घटती बढाती रहती हे तो उस किसान को चिंता रहती हे की मेरे आलू को बाजार में क्या भाव मिलेगा। क्युकी उसको आलू उगने में १० रु का खर्च्या आया हे. तो फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स के प्रकार उसे लगता हे की मुझे २० या २५ रु मिल जाये तो बहुत बढ़िया रहेगा। यह सोचकर वो बाजार में चला जाता हे। और उसी बाजार में व्यापारी भी होते हे। उन्हें भी आलू लेने होते हे उनको लगता हे की कम से कम दाम में हमें आलू मिल जाये तो अच्छा रहेगा। क्युकी उन्हें भी आगे बाजार में उन आलू को ज्यादा भाव में बेचकर प्रॉफिट कमाना हे।

call & put options

option में प्रकार होते हे एक होता हे call option और एक होता हे put option . पहला call option में call के अंदर खरीदना मतलब आप तेजी की ओर हे और कॉल के अंदर बेचना मतलब आप मंदी की ओर हे। और फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स के प्रकार वैसे हे दूसरा put option में put के अंदर खरीदना मतलब आप मंदी की ओर हे ,और अगर आप put के अंदर कोई स्टॉज बेचते हो तो इसका मतलब आप तेजी की तरफ हे.और इन दोनों की भी एक्सपायरी निच्छित होती हे।

फ्यूचर और ऑप्शन में ट्रेडिंग करके के लिए आपको technical analysis को समझने की बाहर जरुरत होती हे ,इससे आपको ट्रेडिंग में मदत होगी की चार्ट को कैसे देखते हे ट्रेंड लाइन क्या होती हे जो की ट्रेडिंग के लिए बहुत महत्व पूर्ण में अगर आपको technical analysis kya hota he समझना हे तो आप मेरी पिछली पोस्ट में जाकर पढ़ सकते हे उसमे मैंने पुरे डिटेल्स में समझाया हे की टेक्निकल एनालिसिस क्या होता हे और कैसे किया जाता हे वो सभी बाटे उस पोस्ट में लिखी हे .

पैसा छापने की मशीन है EQUITY DERIVATIVES (FUTURE & OPTION ) BASIC समझ लो बस कैसे

यु तो SHARE MARKET में बहुत से TOOLS है पर आज हम लोग बात करने वाले है। एक ख़ास TOOL की जिसका इस्तेमाल अगर सही तरीके से किया जाये तो ये किसी पैसे छापने की मशीन से काम नहीं है। बड़े बड़े फण्ड मैनेजर और एनालिस्ट इसका उसे करके गिरते मार्केट में भी पैसे कमाने के लिए फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स के प्रकार फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स के प्रकार करते है

डेरीवेटिव एक प्रकार का FINANCIAL CONTRACT (वित्तीय समझौता) होता है जो UNDERLYING ASSET यानी अन्तर्निहित संपत्तियों से अपना मूल्य प्राप्त करते है। DERIVATIVES , UNDERLYING ASSET की विस्तृत श्रृंखला पर आधारित हैं। UNDERLYING ASSET जैसे

Products in Derivatives Market

FUTURE

यह एक UNDERLYING ASSET जैसे शेयर ,सोना,चांदी बांड आदि। को खरीदने / बेचने के लिए दो पक्षों के बीच एक फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स के प्रकार संविदात्मक समझौता है किसी विशेष मूल्य के लिए निश्चित भविष्य की तारीख जो CONTRACT की तारीख से पहले तय की जाती है जिसमे CONTRACT की दोनों पार्टिया डिलीवरी के समय कॉन्ट्रैक्ट की शर्तो को मानने के लिए बाध्य होती है

दो पार्टीया जो की A और B है। A , B से कोई वस्तु अगले महीने लेना चाहता है परन्तु उसे वह वस्तु आज के भाव पे चाइये तो A और B के मध्य एक CONTRACT होगा जो की पहले से निश्चित तारीख के लिए होगा। जिसके लिए B , A से कुछ एडवांस भी लेता है .यह फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट कहलाता है।

यदि मै फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स के प्रकार सोचता हु। SBI शेयर के प्राइस आने वाले दिनों में और बढ़ सकते है तो मै SBI शेयर को FUTURE में BUY करूँगा और जब उसकी वैल्यू बढ़ती है तो उसे बेच कर मुनाफा कमाऊंगा। और यदि SBI के शेयर में गिरावट आ सकती है तो मै उसे पहले बेचूंगा और जब उसका भाव निचे आएगा तो खरीद कर मुनाफा कमाऊंगा इस प्रकार फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट हमें दोनों ही स्तिथि में मुनाफा कमाने में मदद करता है

शेयर बाजार में क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग, जानिए कैसे करते हैं खरीद-बेच, कितना फायदेमंद

commodity trading

  • News18Hindi
  • Last Updated : May 06, 2021, 09:25 IST

मुंबई. जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैसे ही शेयर बााजार (share market) में भी इन कमोडिटी की खरीद बेच होती है. शेयर बााजार के कमोडिटी सेक्शन में इनकी ही खरीद बेच को कमोडिटी ट्रेडिंग (commodity trading) कहते हैं. यह कंपनियों के शेयरों यानी इक्विटी मार्केट की ट्रेडिंग से थोड़ी अलग होती है. कमोडिटी की ट्रेडिंग ज्यादातर फ्यूचर मार्केट में होती है. भारत में 40 साल बाद 2003 में कमोडिटी ट्रेडिंग पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया था.

Products in Derivatives Market

FUTURE

यह एक UNDERLYING ASSET जैसे शेयर ,सोना,चांदी बांड आदि। को खरीदने / बेचने के लिए दो पक्षों के बीच एक संविदात्मक समझौता है किसी विशेष मूल्य के लिए निश्चित भविष्य की तारीख जो CONTRACT की तारीख से पहले तय की जाती है जिसमे CONTRACT की दोनों पार्टिया डिलीवरी के समय कॉन्ट्रैक्ट की शर्तो को मानने के लिए बाध्य होती है

दो पार्टीया जो की A और B है। A , B से कोई वस्तु अगले महीने लेना चाहता है परन्तु उसे वह वस्तु आज के भाव पे चाइये तो A और B के मध्य एक CONTRACT होगा जो की पहले से निश्चित तारीख के लिए होगा। जिसके लिए B , A से कुछ एडवांस भी लेता है .यह फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट कहलाता है।

यदि मै सोचता हु। SBI शेयर के प्राइस आने वाले दिनों में और बढ़ सकते है तो मै SBI शेयर को FUTURE में BUY करूँगा और जब उसकी वैल्यू बढ़ती है तो उसे बेच कर मुनाफा कमाऊंगा। और यदि SBI के शेयर में गिरावट आ सकती है तो मै उसे पहले बेचूंगा और जब उसका भाव निचे आएगा तो खरीद कर मुनाफा कमाऊंगा इस प्रकार फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट हमें दोनों ही स्तिथि में मुनाफा कमाने में मदद करता है

रेटिंग: 4.65
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 631