source by google

SOPA: वायदा कारोबार शुरू करने की मांग, सीपीएआइ का रूख सोपा के उलट

SOPA: एक ओर वायदा कारोबार शुरू करने की मांग उठ रही है, दूसरी ओर दि सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) ने वायदा कारोबार पर प्रतिबंध जारी रखने की सिफारिश बीते दिनों की थी। सट्टेबाजी के कारण खेरची में उपभोक्ताओं के लिए अनाज से लेकर तेल तक महंगा हो जाएगा।

Updated: | Sat, 17 Dec 2022 02:10 PM (IST)

SOPA इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। कमोडिटी पार्टिसिपेट एसोसिएशन आफ इंडिया (सीपीएआइ) ने वायदा कारोबार में बीते वर्ष से जारी सरकारी प्रतिबंध हटाने की मांग की है। सीपीएआइ ने सेबी को पत्र लिखकर सात एग्री कमोडिटी में वायदा कारोबार फिर शुरू करने की मांग की है। बीते साल दिसंबर में सेबी ने सरकार की सिफारिश के बाद सोयाबीन, सरसों, चना, गेहूं, धान, मूंग, सीपीओ में वायदा कारोबार को प्रतिबंधित कर दिया था। अब एसोसिएशन ने हवाला दिया है कि सरकारी रिपोर्ट के अनुसार देश में सोयाबीन का स्टाक अच्छा हुआ है।

नई फसल आए हुए दो महीने हो गए हैं लेकिन बाजार में दामों में नरमी देखी जा रही है। दरअसल सीपीएआइ ने कहा है कि वायदा के कारण हेजिंग की सुविधा किसानों के लिए बंद हो गई है। ऐसे में किसानों को फसलों के अच्छे दाम हासिल नहीं हो पा रहे हैं।

एक ओर वायदा कारोबार शुरू करने की मांग उठ रही है, दूसरी ओर दि सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) ने वायदा कारोबार पर प्रतिबंध जारी रखने की सिफारिश बीते दिनों की थी। मिल मालिक और प्रोसेसर्स कह रहे हैं कि अगर वायदा कारोबार शुरू किया जाता है तो बाजार में सट्टेबाज हावी हो जाएंगे। ऐसे में मिलों को कच्चा माल महंगा मिलेगा। ऐसे में देश के उद्योगों और उपभोक्ताओं का नुकसान होगा।

बीते दिनों ही खुदरा महंगाई दर में कमी को लेकर सरकार खुश है। यदि वायदा कारोबार शुरू होता है तो सट्टेबाजी के कारण खेरची में उपभोक्ताओं के लिए अनाज से लेकर तेल तक महंगा हो जाएगा। हालांकि सीपीएआइ के पत्र के बाद बाजार में सट्टेबाज हावी हो गए हैं। अभी बाजार में सोयाबीन 5500 के स्तर पर बना हुआ है। अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर वायदा शुरू हुआ तो सोयाबीन 7000 के स्तर को छू लेगा।

शेयर बाजार से हुई कमाई पर कितना लगता है इनकम टैक्स, स्टॉक्स में पैसे लगाने से पहले ये जानना है जरूरी

शेयर बाजार से हुई कमाई पर कितना लगता है इनकम टैक्स, स्टॉक्स में पैसे लगाने से पहले ये जानना है जरूरी

अगर आप भी शेयर बाजार में पैसे लगाते हैं तो आपको इसका टैक्स सिस्टम पता होना चाहिए. शेयर बाजार में लोग कई तरह से कमाई करते हैं और अलग-अलग तरीकों से हुई कमाई पर टैक्स भी अलग-अलग तरीके से लगता है.

कोरोना काल में पहले तो शेयर बाजार (Share Market) बुरी तरह टूटा, लेकिन फिर उसमें तगड़ी तेजी भी देखने को मिली. इस तेजी की एक वजह यह भी रही कि पहले की तुलना में अधिक लोगों ने शेयर बाजार में पैसा लगाना शुरू कर दिया. कुछ साल पहले की तुलना में अब बहुत सारे लोग शेयर मार्केट में पैसे लगाते हैं. बीएसई से पहले 5 करोड़ इन्वेस्टर करीब 12 सालों में जुड़े, जबकि महज दो सालों में ही 5 करोड़ और इन्वेस्टर जुड़ गए. यानी अब शेयर बाजार में पैसे लगाने वाले बहुत अधिक बढ़ चुके हैं. ऐसे में ये जानना भी बहुत जरूरी है कि शेयर बाजार से जो कमाई होती है, उस पर कितना इनकम टैक्स (Taxation on Share Market Earning) लगता है.

सबसे पहले बात इंट्रा-डे की

कोरोना काल में ऐसे बहुत सारे लोग शेयर बाजार से जुड़े, जिनका मकसद निवेश करना नहीं, बल्कि ट्रेडिंग करना था. बता दें जब लोग शेयर बाजार में कम समय के लिए पैसे लगाते हैं और मुनाफा मिलते ही उन्हें बेच देते हैं, उसे ट्रेडिंग कहते हैं. यह ट्रेडिंग एक दिन से लेकर कुछ दिनों, हफ्तों या महीनों तक के लिए भी की जाती है. अगर कोई शख्स एक ही दिन में शेयर को खरीदकर उसे बेच भी देता है, तो इसे इंट्रा-डे ट्रेडिंग कहते हैं. अगर आप इंट्रा-डे ट्रेडिंग करते हैं तो आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा. यानी अगर आपकी कुल कमाई 2.5 लाख रुपये से भी कम है तो आप पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, जबकि इससे ऊपर की कमाई पर आपको स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ेगा.

फ्यूचर-ऑप्शन ट्रेडिंग पर कैसे लगता है टैक्स

अगर आप फ्यूचर या ऑप्शन ट्रेडिंग करते हैं तो भी आप पर इंट्रा डे की तरह ही टैक्स लगेगा. यानी फ्यूचर या ऑप्शन ट्रेडिंग से आपको जो मुनाफा होगा, उस पर आपको खुद पर लगने वाले टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा. बता दें कि फ्यूचर-ऑप्शन ट्रेडिंग के तहत आप बाद की यानी आने वाले दिनों की किसी फ्यूचर्स ट्रेडिंग कैसे किया जाता है? तारीख के लिए डील फाइनल करते हैं. फ्यूचर के तहत अगर आप कोई स्टॉक लेते हैं तो आपको उस डील में फायदा हो या नुकसान, आप समय से पहले उससे बाहर नहीं निकल सकते. वहीं ऑप्शन ट्रेडिंग में आपको अगर नुकसान होने लगता है तो आप डील छोड़ सकते हैं. इनका इस्तेमाल सबसे ज्यादा हेजिंग के लिए होता फ्यूचर्स ट्रेडिंग कैसे किया जाता है? है, लेकिन बहुत से ट्रेडर इसे मुनाफा कमाने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं.

शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर कैसे लगता है टैक्स?

अगर आप किसी शेयर को अपने पोर्टफोलियो में कम से कम 1 दिन या अधिक से अधिक 364 दिन मतलिब 1 साल से कम तक रखते हैं तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स कहा जाता है. इस पर आपको फ्लैट 15 फीसदी का टैक्स देना होता है. हालांकि, अगर आपकी कमाई 2.5 लाख रुपये से कम है तो आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा, लेकिन कमाई उससे ऊपर बढ़ते ही फ्लैट 15 फीसदी टैक्स लगेगा, भले ही आप किसी भी स्लैब के दायरे में आते हों.

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन हुआ तो कैसे लगेगा टैक्स?

ऐसे भी बहुत सारे लोग हैं जो शेयर बाजार में 1 साल से अधिक की अवधि के लिए शेयर खरीदते हैं. इसे ही निवेश कहा जाता है. बड़े-बड़े दिग्गज निवेशक हर किसी को निवेश की सलाह ही देते हैं. अगर आपको कैपिटल गेन होता है तो उस पर आपको 1 लाख रुपये तक पर कोई टैक्स नहीं चुकाना होगा. वहीं अगर आपकी कमाई इससे अधिक होती है तो उस पर फ्लैट 10 फीसदी टैक्स चुकाना होगा. इसमें भी इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस टैक्स स्लैब में आते हैं. हालांकि, अगर आपकी कमाई 2.5 रुपये तक ही है तो आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा.

कई गुना सब्सक्राइब हो जाए IPO तो कैसे होता है अलॉटमेंट, जानिए कहां करें चेक कि शेयर मिला या नहीं

फ्यूचर्स ट्रेडिंग कैसे किया जाता है?

ट्रेडिंग और इंवेस्टमेंट्स वेल्थ क्रिएशन के दो अलग-अलग दृष्टिकोण हैं। ट्रेडिंग एक शॉर्ट टर्म तरीका है जो ट्रेडिंग से तुरंत प्रॉफिट करने के लिए बनाया जाता है, जबकि इन्वेस्टमेंट पूर्व निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बनाया गया लॉन्ग टर्म मेथड है। सभी ने कहा और किया, लक्ष्य-आधारित फाइनेंसियल प्लानिंग बेहतर परिणाम देता है।

ट्रेडिंग में एक दिन से लेकर कुछ हफ्तों तक, कम समय में शॉर्ट टर्म उतार-चढ़ाव पर अधिक रिटर्न होता है। इन्वेस्टमेंट में लंबे समय तक सिक्योरिटीज को खरीदकर और उन्हें रखकर अपने लक्ष्यों को हासिल करना शामिल है। इन्वेस्टमेंट की समय सीमा कुछ वर्षों या कुछ दशकों से भी बढ़ सकती है। ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट दोनों जोखिम रहित नहीं हैं। हालांकि, ट्रेडिंग इन्वेस्टिंग की तुलना में जोखिम भरा है।

लक्ष्य फ्यूचर्स ट्रेडिंग कैसे किया जाता है? निर्धारित करना

ट्रेडिंग और निवेश के साथ किसी भी उद्योग के लिए लक्ष्य निर्धारण महत्वपूर्ण है। अपने लक्ष्य को जानें ताकि आप उसके अनुसार कोर्स का चार्ट बना सकें।

  • अपने फाइनेंसियल गोल्स की योजना बनाएं। उन्हें लिख लीजिये।
  • अपने लक्ष्यों के आधार पर एक स्ट्रेटेजी बनाएं
  • अपने स्किल्स, नॉलेज, ताकत और कमजोरियों का मूल्यांकन करें
  • स्किल्स और गोल्स के बीच के अंतर का निर्धारण करें और उन्हें कम करने पर ध्यान दे
  • अपनी जोखिम उठाने की क्षमता का पता लगाएं
  • भविष्य में मदद के लिए ट्रेडों या इन्वेस्टमेंट्स के लॉग बनाए रखें

ट्रेडिंग गोल्स और विचार

प्रेरणा: ट्रेडिंग में व्यक्ति का पीछा करने के लिए बहुत अधिक आत्म-प्रेरणा और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है। उच्च लक्ष्य निर्धारित करके निरंतर आगे बढ़ाना होगा और लगातार सुधार करने का प्रयास करना होगा। ट्रेडर के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण जरूरी है।

कॅपिटल : लक्ष्यों के आधार पर, ट्रेडिंग के लिए आवश्यक कॅपिटल को अलग रखना पड़ता है। ट्रेडिंग के लिए आवश्यक कॅपिटल सब्जेक्टिव हो सकती है। हालांकि, किसी को अपनी पूरी कॅपिटल एक ही ट्रेडिंग आइडिया या स्ट्रेटेजी के लिए नहीं लगानी चाहिए। ये सलाह दी जाती है कि बोहोत ट्रेडिंग आईडिया या स्ट्रेटेजीस होने चाहिए परंतु वो इंटरनली अलग हों। मार्केट्स निर्दयी हैं, और यदि ट्रेड्स की कोई योजना नहीं है, तो कोई भी अपने कॅपिटल को थोड़े ही समय में उड़ा सकता है।

रिस्क : पैसे को बचाने के लिए, ट्रेडिंग में रिस्क मैनेजमेंट को शामिल करना होगा। रिस्क को कम करने का एक तरीका ये है कि किसी ट्रेडिंग आईडिया या स्ट्रेटेजी के लिए अलोकेटेड टोटल कॅपिटल का केवल निश्चित प्रतिशत अलॉट किया जाए। यह पर ट्रेडिंग आइडिया या ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी के लिए कॅपिटल के 2-4 प्रतिशत के बीच हो सकता है। बड़े अकाउंट के लिए, ये वैल्यू कॅपिटल के 0.25% जितनी कम हो सकती है, ये रिस्क स्वीकार करना पूरी तरह से ट्रेडर या इन्वेस्टर के पेट पर निर्भर है।

क्या व्यापार करें: सिक्योरिटीज के आधार पर, कोई व्यक्ति कॅपिटल और रिस्क के उपायों को बाँट सकता है। यदि ये स्टॉक है, तो पर ट्रेड लार्ज कॅपिटल देना होता है, और यदि यह फ्यूचर या ऑप्शन है, तो कॅपिटल काम हो सकता है लेकिन रिस्क अधिक हो सकती है।

समय सीमा: ये ट्रेडिंग गोल्स पर निर्भर करता है। डेली गोल्स डे ट्रेडिंग में शामिल है। यदि कोई साप्ताहिक या मासिक गोल निर्धारित किया जाता है, तो व्यक्ति पोज़िशनल ट्रेडों के अनुसार रिटर्न निर्धारित कर सकता है। यहां महत्वपूर्ण बात ये है कि लक्ष्य वास्तविक होने चाहिए। सभी ट्रेडों के विजेता होने की अपेक्षा करना सूर्य के पश्चिम से उदय होने की अपेक्षा करने जैसा है। नुकसान ट्रेडर की यात्रा का एक हिस्सा हैं।

ट्रेडिंग गोल्स : ट्रेडिंग गोल्स की तुलना बेंचमार्क इंडेक्स से नहीं की जा सकती क्योंकि बेंचमार्क एक मॉडल पोर्टफोलियो की तरह काम करते हैं। हालांकि, एक ट्रेडर के लिए रीयलिस्टिक प्रॉफिट या रिटर्न निर्धारित करना आवश्यक है। कैपिटल का हिस्सा लक्ष्य निर्धारित करने का पसंदीदा तरीका है। उदाहरण के लिए, 3-4% का मंथली टारगेट काफी रीयलिस्टिक है। आक्रामक ट्रेडर्स उच्च लक्ष्य निर्धारित करते हैं लेकिन ये रिस्की हो सकता है। रीयलिस्टिक यानि प्राप्त करने योग्य लक्ष निर्धारित करना और फिर उन लक्ष्यों का विस्तार करना समझदारी है क्योंकि हर कोई समय के साथ प्रगति करता है।

इंवेटस्मेन्ट गोल्स और विचार

लक्ष्य की पहचान: इंवेटस्मेन्ट केवल एक विशिष्ट लक्ष्य के खिलाफ शुरू होना चाहिए, जिसे समय पर हासिल किया जा सके। विशिष्ट लक्ष्य के बिना कोई भी इंवेटस्मेन्ट केवल स्टॉक चुनना है जो अच्छा फॅक्टर देता है। इस तरह के इंवेस्टमेंट्स से बहुत पैसा जल्दी मिल सकता है।

लक्ष्य दो प्रकार के होते हैं:

  • लंबी अवधि के लक्ष्य जैसे रिटायरमेंट फंड जमा करना, एजुकेशन, फॅमिली प्लानिंग करना, उच्च शिक्षा
  • कम अवधि के लक्ष्य जैसे कार खरीदना, छुट्टी पर जाना

समय की सिमा: शॉर्ट, मध्यम या लॉन्ग टर्म की समय सिमा में गोल्स मैपिंग, अपने गोल्स के लिए सही स्ट्रेटेजी को लागू करने में मदद करेगा। शॉर्टटर्म गोल्स में तीन साल से कम की समय सिमा हो सकती है, जबकि मध्यम अवधि के लक्ष्य की समय सिमा तीन से 10 साल के बीच हो सकता है। एक दीर्घकालिक लक्ष्य की समय सिमा एक दशक या उससे अधिक हो सकती है।

स्ट्रेटेजी: लक्ष्य के समय सिमा के आधार पर स्ट्रेटेजी की प्लानिंग की जा सकती है।

अल्पावधि के लिए, कॅपिटल एलोकेशन लिक्विड इंवेस्टमेंट्स, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स, लिक्विड म्यूचुअल फंड या लिक्विड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) के मिक्स पर आधारित हो सकता है। कैपिटल का संरक्षण महत्वपूर्ण है, इसलिए लिक्विड इंस्ट्रूमेंट्स में इंवेस्टमेंट्स सुरक्षित है।

मध्यम अवधि के लक्ष्य लंबे समय तक चलते हैं, और यदि कोई शॉर्टटर्म चूक भी होती है, तो ठीक होने में समय लगता है। इसलिए, उच्च गुणवत्ता वाले फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स या फिक्स्ड म्यूचुअल फंड, या स्टॉक या इक्विटी म्यूचुअल फंड में इंवेस्टमेंट्स के मिक्स को नियोजित किया जा सकता है।

लंबी अवधि के लक्ष्यों के लिए, अधिक एग्रेसिव मिक्स का उपयोग कर सकता है क्योंकि यहां समय एक मित्र है। प्रोडक्ट मिक्स इक्विटी या इक्विटी म्यूचुअल फंड और ईटीएफ के पक्ष में एग्रेसिव हो सकता है।

मॉनिटरिंग : किसी को निरंतर आधार पर इंवेस्टमेंट्स की निगरानी करने और आवश्यकता पड़ने पर उसमे परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है। कई वेबसाइटें मुफ्त में पोर्टफोलियो-मॉनिटरिंग सर्विसेस प्रदान करती हैं, जबकि कुछ शुल्क ग्राहकों के इंवेस्टमेंट्स की निगरानी में मदद करने के हेतु लिए जाते हैं।

Option Trading kya hotee hai | ऑप्शन ट्रेडिंग क्या होती है

Option Trading kya hotee hai, Option Trading kaise kare

यूटिलिटी डेस्क. हेजिंग की सुविधा पाते हुए अगर आप मार्केट में इनवेस्टमेंट करना चाहते हैं तो फ्यूचर ट्रेडिंग के मुकाबले ऑप्शन ट्रेडिंग सही चुनाव होगा। ऑप्शन में ट्रेड करने पर आपको शेयर का पूरा मूल्य दिए बिना शेयर के मूल्य से लाभ उठाने का मौका मिलता है। ऑप्शन में ट्रेड करने पर आप पूर्ण रूप से शेयर खरीदने के लिए आवश्यक पैसों की तुलना में बेहद कम पैसों से स्टॉक के शेयर पर सीमित नियंत्रण पा सकते हैं।

1) बीमा कवर प्रतिभूति के मूल्यों में उतार चढ़ाव से करते हैं सुरक्षा

Option Trading ऑप्शन ट्रेडिंग के दौरान कुछ प्रीमियम चुकाकर नुकसान का बीमा कवर भी लिया जा सकता है। ये बीमा कवर किसी निश्चित प्रतिभूति के मूल्यों में उतार चढ़ाव से आपकी सुरक्षा करते हैं। यह बिल्कुल उसी तरह होता है जैसे कार इंश्योरेंस लेने के बाद उसमें स्क्रेच आने, चोरी हो जाने या एक्सीडेंट हो जाने पर बीमा कंपनी नुकसान की भरपाई करती है। आसान शब्दों फ्यूचर्स ट्रेडिंग कैसे किया जाता है? में कीमतों में उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए ऑप्शन अच्छा विकल्प है।

वायदा कारोबार में आप 30 हजार के भाव पर गोल्ड की एक लॉट खरीदते हैं, लेकिन सोने का भाव 1000 रुपए टूट जाता है और 29 हजार तक आ जाता है। ऐसी स्थिति में एक लॉट पर आपको एक लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ता है। वहीं, ऑप्शन ट्रेडिंग में अगर आपने कॉल ऑप्शन खरीदा है तो 50 रुपए प्रति दस ग्राम के हिसाब से प्रीमियम चुकाने पर यह नुकसान घटकर सिर्फ 5000 रुपए तक रह जाता है।

फ्यूचर बाजार में हेजिंग का टूल नहीं है यानी इसमें सौदे को ओपन (खुला) छोड़ते हैं या फिर स्टॉपलॉस लगाते हैं। स्टॉपलॉस लगाने पर उस स्तर पर सौदा खुद ही कट जाता है, लेकिन नुकसान जरूर होता है। स्टॉपलॉस न लगाया तो नुकसान ज्यादा होता है, जबकि पुट ऑप्शन में खरीदे हुए सौदे को हेज कर सकते हैं। इसी तरह बिके हुए सौदे को कॉल ऑप्शन के जरिए नुकसान की सीमा को बांध सकते हैं।

शेयर बाजार में वायदा अनुबंधों के दौरान किसी कंपनी के शेयरों में निवेश किए गए भावों में अचानक गिरावट दर्ज की जाने लगे, तो ऐसी विपरीत परिस्थितियों से बचने के लिए हेजिंग का उपयोग किया जाता है। यह काम काउंटर बैलेंसिंग के जरिये किया जाता है यानी एक निवेश की हेजिंग के लिए दूसरा निवेश किया जाता है। दूसरे शब्दों में, हेजिंग दो ऐसे निवेश विकल्पों में निवेश के जरिये किया जाता है, जिनमें नकारात्मक सहसंबंध होता है।

Future Trading क्या होता है?

Future Trading क्या होता है?

source by google

हेल्लो दोस्तों आज एकबार फिर से आप सभीको internet sikho में बहुत बहुत स्वागत है.दोस्तों आप आगर स्टॉक मार्किट में ट्रेडिंग करते है तोह future trading के बारे में भी सुने ही होंगे.लेकिन फिर भी आज में आपको future trading के बारे में थोडा जानकारी देना चाहूँगा जिससे नए ट्रेडर्स के लिए भी थोडा मदत मिल सके.

  • इस पोस्ट में जानिये लडकिया इन्टरनेट पार क्या क्या सर्च करता है
  • टेक्निकल चार्ट में कप एंड हैंडल पैटर्न कैसे पहचाने जाने यहाँ
  • कॉमेडी के बादशा कपिल शर्मा के जीबन काहानी के बारे में जाने यहाँ
  • kyc क्या है?सबके पास kyc का होना जरुरी क्यों है ?
  • गूगल के ceo सुन्दर पिचाई के जीबन काहानी के बारे में जाने यहाँ
  • लडकियों को गिफ्ट में क्या दे जिससे लड़की पट जाए जानिये यहाँ
  • काटाप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा था जानिए इस पोस्ट के माध्यम से
  • क्या आप भी सोचते है की लोग आपके बारे में क्या सोचेंगे ?

future trading क्या होता है?what’s future trading?

future trading या फिर future contract का मतलब होता है की आप किसी भी स्टॉक को एक्स्पिआरी तारीख से पहले उससे खरीदने या बेचने का बचन देते है कोई भी तै किया हुआ दाम पार .आगर आप ऐसे स्टॉक बेचे तोह उससे आपको किसी तै किया हुआ कीमत पार खरीदने वाला को ट्रान्सफर करना पड़ता है.

future trading कैसे होता है?

तैय किया हुआ तारीख पार यानि की एक्सपायरी के तारीख पार वोह कॉन्ट्रैक्ट ख़तम होता है.जैसे हर गुरुबार को बैंक निफ्टी के weekly कॉन्ट्रैक्ट ख़तम होता है.हर कॉन्ट्रैक्ट एसेट या cash भुगतान की बाकाया राशि देने के से या मुनाफा लेने से उसी तारीख को समाप्त हो जाता है.और जोह बेकती future कॉन्ट्रैक्ट लेने वाले बेकती को लागे की आगे भी मुनाफ़ा कामाया जा सकता है तोह कॉन्ट्रैक्ट को रोलओवर कर सकते है यानि की नेक्स्ट माहीने के लिए उससे continiue करके भी जादा से जादा मुनाफा कामाते है.और आगर future कॉन्ट्रैक्ट्स लेने वाला आदमी उसके लेने वाले positions से खुस नहीं है या फिर नुक्सान हो राहा है तोह वोह उससे expiary के पहले ही उसको बेच सकते है और लोस बुक भी कर फ्यूचर्स ट्रेडिंग कैसे किया जाता है? सकते है.

दोस्तों यह था future tarding की पूरी जानकारी और मुझे उम्मीद है की आपको यह पोस्ट से समझ में आजाएगा की future trading कैसे होता है और future ट्रेडिंग का क्या मतलब है.स्टॉक मार्किट से जुड़े हुए हर एक टॉपिक के बारे में जानने के लिए market basics catogory को चेक करे उसमे आपको स्टॉक मार्किट से जुड़े हुए बहुत पोस्ट मिल जायेगा.और ऐसे ही हर दिन एक नया पोस्ट आपके मेल बॉक्स में पाने के लिए internet sikho को subscribe करना ना भूले.

रेटिंग: 4.36
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 705