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क्रिप्टो करेंसी क्या है और कैसे काम करती है/Cryptocurrency kya hai or yeh kese kam karti hai

आयदिन समाचारों तथा विभिन्न सोशल मीडिया स्थानों पर एक शब्द बहुत ही बहुत सुनने को मिलता है क्रिप्टोकोर्रेंसी Cryptocurrency ,रोजाना कई बार इसका जिक्र लोग करते ही रहते हैं ,संसद तक में इसका जिक्र हो रहा है और अब तो हमारी भारतीय सरकार भी इसके लिए कानून बनाने जा रही है जि समे इसको नियन्त्रिक करने की मांग भी उठ रही है ऐसे में हर व्यक्ति का हक़ बनता है कि हम इसके बारे में जाने कि क्रिप्टो करेंसी क्या है और ये करेंसी कैसे काम करती है क्योंहै लोग इसको लेकर हमेशा इतने उत्साहित रहते है और ये हमारी राष्ट्रिय करेंसी से अलग क्यों है ये करेंसी कैसे लोगो रोतों रात अमीर बना देती है। तो चलिए जानते है इस क्रिप्टोकोर्रेंसी के बारे में -

क्रिप्टो करेंसी क्या है/Cryptocurrency kya hai?

आधुनिक डिजिटल दुनियाँ में मुद्रा (Currency) ने भी एक डिजिटल रूप ले लिया है जो किसी देश के वाध्य नहीं होती क्रिप्टोकरेंसी के नाम से जानी जाती है मूलतः इसका वर्चस्व 2009 में सबके सामने आया और सबसे पहली क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन थी

कैप्टोकरेंसी सभी देशों की मुद्रा के सामान एक करेंसी है जिसको हम वित्तीय लेन-देन के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं बस सिर्फ फर्फ इतना है की यह सभी देशों के सामान कागज या मेटल की नहीं होती है यह एक डिजिटल करेंसी है इसको आप सपर्श नहीं कर सकते सिर्फ ऑनलाइन माध्यम से इसमें लेन-देन कर सकते हैं एक कप्यूटर से दूसरे कम्यूटर में इसको इ-वॉलेट द्वारा भेजा जाता है यह एक decentralized करेंसी है इसमें किसी देश का नियत्रण नहीं होता है।

Cryptocurrency कैसे काम करती है?

यह एक डिजिटल करेंसी होने के कारण ऑनलाइन माध्यऐसेम से काम करती है जिसको इंटरनेट द्वारा सचालित किया जाता है

यह करेंसी कंप्यूटर प्रणाली द्वारा संचालित होती है तथा एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में ऑनलाइन माध्यम से ई-वॉलेट द्वारा ट्रांसफर की जाती है जिसका रिकॉर्ड कंप्यूटर को रखना होता है

यह करेंसी ब्लॉक चैन के माध्यम से विनिमय होती है इसके द्वारा किये गए ट्रांसक्शन का रिकॉर्ड पब्लिक खातों में रिकॉर्ड होता है जिसे हम बलॉक चैन के नाम से जानते हैं इसमें एक ट्रांजेक्शन को बहुत सारे कंप्यूटर से होकर गुजरना पड़ता है और एक साथ सभी कंप्यूटर इस ट्रांजेक्शन को वेरीफाई करते हैं।

एक साथ अनेकों कंप्यूटर के वेरियफिकेशन के द्वारा इसके ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड में कोई गड़बड़ी नहीं होती है और ब्लॉक चैन से जुड़े कंप्यूटर में ट्रांसक्शन का प्रमाण होता है।

ब्लॉक चैन बहुत से विशेष पॉवर वाले कंप्यूटर का एक संग्रह होता है जिसके साथ बहुत से कंप्यूटर जुड़े होते हैं,माइनर कंप्यूटर ब्लॉकचैन को बनाते हैं जिसमे डेटा स्टोर करने की क्षमता बहुत अधिक होती है और हर ट्रांसक्शन का रिकॉर्ड बहुत आसानी से रखा जा सकता है

लोकप्रिय Cryptocurrency

दुनियाँ में क्रिप्टोकरेन्सी की संख्या 5000 से भी अधिक है उनमें से कुछ बहुत अधिक लोकप्रिय हैं जो इस प्रकार हैं -

Cryptocurrencies Price: बिटकॉइन में रिकॉर्ड गिरावट, टेरा 94% तक टूटा, 32% गिरा शिबा इनु, जानें लेटेस्ट कीमत

क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में आज बड़ी गिरावट देखी गई। आज गुरुवार को बिटकॉइन जनवरी 2021 के क्रिप्टोकरेंसी किसे कहते है बाद से अपने सबसे लोएस्ट प्राइस पर गिर गया। दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन 12% टूटा।

Cryptocurrencies Price: बिटकॉइन में रिकॉर्ड गिरावट, टेरा 94% तक टूटा, 32% गिरा शिबा इनु, जानें लेटेस्ट कीमत

Cryptocurrency Prices Today Crash: क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में आज बड़ी गिरावट देखी गई। आज गुरुवार को बिटकॉइन जनवरी 2021 के बाद से अपने सबसे लोएस्ट प्राइस पर गिर गया। दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की कीमत 12% से अधिक गिरकर 27,817.22 डॉलर हो गई। CoinGecko के मुताबिक, ग्लोबर क्रिप्टो बाजार का वैल्यू आज पिछले 24 घंटों में लगभग 16.1% गिरकर 1.24 ट्रिलियन डॉलर क्रिप्टोकरेंसी किसे कहते है हो गया है।

टेरा में सबसे बड़ी गिरावट
टेरा नाम की क्रिप्टो टोकन में आज 94 पर्सेंट की गिरावट आई थी। टेरा टोकन पिछले 1 घंटे में 32 पर्सेंट तक टूट चुका है। वहीं, शिबा इनु टोकन में पिछले 24 घंटे में 33.18% की गिरावट देखी गई। यही नहीं दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी एथेरियम में 21.8% की गिरावट है। Cardano 32% तक टूट चुका है। वहीं, Solana 34% तक टूट गया। Dogecoin में भी बड़ी गिरावट है। Dogecoin की कीमत आज 29.9% तक गिर गई है।

क्या कहते हैं जानकार?
मुड्रेक्स के को फाउंडर और सीईओ एडुल पटेल ने कहा, बिटकॉइन गिरकर 28,000 डाॅलर के नीचे हो गया, जो कि अब तक बड़ी गिरावट है। स्थिर मुद्रा यूएसटी के गिरने से क्रिप्टो बाजार काफी हद तक प्रभावित हुआ है क्योंकि अधिकांश निवेशकों और संस्थानों ने इसमें निवेश किया है। हालांकि बीटीसी के पहले भी कई क्रैश हुए थे, लेकिन इसने तुरंत रिबाउंड किया। इस बार भी बीटीसी के मौजूदा स्तर से नीचे टूटने की संभावना है।

Cryptocurrency: UPI, IMPS, RTGS व NEFT के ज़रिए नहीं खरीद पा रहे हैं क्रिप्टो? रुपये में भुगतान के लिए अपना सकते हैं ये तरीका

क्रिप्टो एक्सचेंजों पर IMPS, NEFT, UPI और RTGS सेवाओं के बंद होने के बाद अब इन वर्चुअल एसेट्स में निवेश का एकमात्र विकल्प पीयर-टू-पीयर (P2P) ट्रांजेक्शन है.

Cryptocurrency: UPI, IMPS, RTGS व NEFT के ज़रिए नहीं खरीद पा रहे हैं क्रिप्टो? रुपये में भुगतान के लिए अपना सकते हैं ये तरीका

निवेशकों के लिए अब भारतीय रुपये के ज़रिए क्रिप्टोकरेंसी में निवेश मुश्किल होता जा रहा है.

Cryptocurrency: भारत की क्रिप्टो पॉलिसी अभी तक स्पष्ट नहीं है और देखा जा सकता है कि सरकार व रेगुलेटरी बॉडी भारतीय रुपये (INR) के ज़रिए इन वर्चुअल डिजिटल एसेट्स में निवेश को मुश्किल बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके चलते निवेशकों के लिए अब क्रिप्टोकरेंसी में निवेश मुश्किल होता जा रहा है. भारत में कई क्रिप्टो एक्सचेंजों ने नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया (NPCI) के साथ किसी भी टकराव से बचने के लिए UPI के ज़रिए भारतीय रुपयों से क्रिप्टोकरेंसी की खरीदी के सारे विकल्प बंद कर दिए हैं. NPCI ने हाल ही में एक बयान जारी कर कहा था कि उसे भारत में किसी भी क्रिप्टो एक्सचेंज द्वारा यूपीआई के जरिए लेन-देन किए जाने की कोई जानकारी नहीं हैं. इस बयान के बाद ही, पेमेंट वॉलेट मोबिक्विक ने एक्सचेंजों पर क्रिप्टो ट्रेडिंग को सपोर्ट करना बंद कर दिया. पहले, यूजर्स यूपीआई के ज़रिए मोबिक्विक वॉलेट में पैसा जमा कर सकते थे और फिर एक्सचेंजों पर क्रिप्टो खरीदने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते थे.

वहीं, CoinSwitch Kuber जैसे एक्सचेंजों ने NEFT, RTGS और IMPS के ज़रिए UPI और बैंक ट्रांसफर सहित सभी डिपॉजिट सर्विसेज पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी है. वहीं, अन्य प्लेटफॉर्म पर अभी भी भारतीय रुपये के ज़रिए क्रिप्टो खरीदने के लिए नेटबैंकिंग का विकल्प दिख रहा है, लेकिन ऐसे बैंक बहुत कम हैं. असल में, बड़े बैंक क्रिप्टो एक्सचेंजों को सपोर्ट नहीं कर रहे हैं, जिससे उनके अपने ग्राहकों के लिए क्रिप्टो खरीदना मुश्किल हो गया है.

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

एक्सपर्ट्स का मानना है कि क्रिप्टो को खरीदने या निवेश करने में रुचि रखने वाले बैंक ग्राहकों को वित्तीय सेवाओं से दूर रखना बहुत गलत है,खासकर जब क्रिप्टो को देश में अवैध घोषित नहीं किया गया है. EarthID में रिसर्च एंड स्ट्रेटेजी के VP शरत चंद्र ने कहा, “क्रिप्टो निवेशकों को फाइनेंशियल सर्विसेज से दूर करना बहुत गलत है. UPI और IMPS का विकल्प नहीं होने का मतलब है कि भारतीय रुपये को क्रिप्टो में कनवर्ट करने का कोई आसान रास्ता नहीं है.”

क्रिप्टो एक्सचेंजों पर IMPS, NEFT, UPI और RTGS सेवाओं को अस्थायी तौर पर बंद करने के बाद अब इन वर्चुअल एसेट्स में निवेश का एकमात्र विकल्प पीयर-टू-पीयर (P2P) ट्रांजेक्शन है, जो कि ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से हो सकता है. डिजिटल एसेट्स LLP के डायरेक्टर तुषार चौधरी ने FE ऑनलाइन को बताया, “P2P ट्रांजेक्शन अभी भी ओपन हैं. जब आरबीआई ने साल 2018 में क्रिप्टो के सभी बैंकिंग चैनलों पर प्रतिबंध लगा दिया था, तब भी एक्सचेंज P2P के माध्यम से चल रहे थे.

क्या P2P के ज़रिए क्रिप्टो में निवेश सुरक्षित है?

क्रिप्टो एक्सपर्ट्स का कहना है कि वर्चुअल डिजिटल एसेट्स में P2P ट्रांजैक्शन उतना ही सुरक्षित है जितना कि दो इंसानों के बीच कोई ट्रांजैक्शन. चौधरी ने कहा, “क्रिप्टो में ऑथेंटिसिटी की कोई समस्या नहीं है, कोई भी आपको नकली बिटकॉइन नहीं बेच सकता है क्योंकि ब्लॉकचेन पर लेनदेन होता है. तो इसमें उतना ही जोखिम है जितना कि दो व्यक्तियों के बीच किसी भी प्रोडक्ट या किसी भी सर्विस के ऑफ़लाइन लेनदेन में होता है. इसमें कोई अतिरिक्त जोखिम नहीं है.”

चंद्र का कहना है, “P2P एक्सचेंजों पर पीयर टू पीयर क्रिप्टो ट्रेडिंग एक एस्क्रो वॉलेट (Escrow Wallet) द्वारा संचालित होती है जहां क्रिप्टो निवेशकों को अपना फंड भेजने की जरूरत होती है. डिसेंट्रलाइज्ड एक्सचेंजों पर मल्टी-क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट सपोर्ट ऑफर किया जाता है, जिससे निवेशकों के लिए ट्रेड करना आसान हो जाता है.” उन्होंने आगे कहा कि यह ध्यान रखना अहम है कि डिसेंट्रलाइज्ड एक्सचेंजों पर क्रिप्टो टू क्रिप्टो ट्रेडिंग में एस्क्रो वॉलेट शामिल नहीं है.

क्या सरकार P2P को भी बैन कर सकती है?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार के लिए P2P ट्रांजेक्शन पर प्रतिबंध लगाना आसान नहीं होगा क्योंकि किसी भी सर्विस को खरीदना या बेचना नागरिकों का संवैधानिक अधिकार है. चौधरी ने आगे कहा, “सरकार कुछ भी और सब कुछ पर बैन लगा सकती है… अगर सरकार कल कहती है कि कोई भी व्यक्ति P2P के माध्यम से क्रिप्टो खरीद या बेच नहीं सकता है तो इस मामले को लेकर अदालत या न्यायपालिका का रूख किया जा सकता है, क्योंकि किसी सर्विस को खरीदना या बेचना हमारा संवैधानिक अधिकार है.”

उन्होंने आगे कहा, “सरकार क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता नहीं देती है, लेकिन उन्हें अब यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्रिप्टो को लेकर उनकी पॉलिसी क्या है. आरबीआई कहता रहा है कि क्रिप्टो का अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा लेकिन आज तक यह साबित नहीं हो पाया है कि क्रिप्टो का देश के फाइनेंशियल मार्केट और करेंसी पर प्रतिकूल प्रभाव कैसे पड़ रहा है.”

Cryptocurrency: क्या होते हैं इनीशियल क्वॉइन ऑफरिंग (ICO)? पढ़ें इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब

क्रिप्टोकरेंसी में निवेश से पहले इससे जुड़ी कुछ चीजों को समझ लेना जरूरी है. ऐसी ही एक टर्म इनीशियल क्वॉइन ऑफरिंग (ICO) है. आइए इसके बारे में डिटेल में जानते हैं.

Cryptocurrency: क्या होते हैं इनीशियल क्वॉइन ऑफरिंग (ICO)? पढ़ें इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब

What are Initial Coin Offerings (ICO): क्रिप्टोकरेंसी में पिछले कुछ समय से निवेश तेजी के साथ बढ़ा है. बड़ी संख्या में लोग खास तौर पर युवा क्रिप्टो में निवेश को लेकर आकर्षित हो रहे हैं. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी में निवेश से पहले इससे जुड़ी कुछ चीजों को समझ लेना जरूरी है. ऐसी ही एक टर्म इनीशियल क्वॉइन ऑफरिंग (ICO) है. आइए इसके बारे में डिटेल में जानते हैं.

इनीशियल क्वॉइन ऑफरिंग (ICO) क्या है?

इनीशियल क्वॉइन ऑफरिंग (ICO) क्रिप्टोकरेंसी इंडस्ट्री में इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) के बराबर होता है. जो कंपनी नया क्वॉइन, ऐप या सर्विस बनाने के लिए पैसे जुटाने की सोच रही है, वे फंड जुटाने के लिए आईसीओ को लॉन्च करती है.

जो निवेशक रूचि रखते हैं, वे ऑफरिंग में खरीदारी कर सकते हैं और कंपनी द्वारा जारी नए क्रिप्टोकरेंसी टोकन को हासिल कर सकते हैं. इस टोकन की मदद से आप कंपनी द्वारा ऑफर की जा रहे किसी प्रोडक्ट या सर्विस का इस्तेमाल कर सकते हैं. या यह केवल कंपनी या प्रोजेक्ट में हिस्सेदारी भी दिखाता है.

ICO कैसे काम करता है?

जब कोई क्रिप्टोकरेंसी स्टार्टअप ICO के जरिए पैसे जुटाना चाहता है, तो वह आम तौर पर एक व्हाइटपेपर बनाता है, जिसमें यह दिया होता है कि प्रोजेक्ट किसके बारे में है. इसमें दिया होता है कि प्रोजेक्ट पूरा होने पर किस जरूरत को पूरा करेगा, क्रिप्टोकरेंसी किसे कहते है कितने पैसों की जरूरत होगी, फाउंडर्स कितने वर्चुअल टोकन रखेंगे, किस तरह के पैसों को मंजूर किया जाएगा और कितने लंबे समय तक आईसीओ कैंपेन चलेगा.

ICO कैंपेन के दौरान, प्रोजेक्ट के सपोर्टर्स fiat या डिजिटल करेंसी के साथ प्रोजेक्ट के कुछ टोकनों को खरीदते हैं. इन क्वॉइन्स को खरीदार टोकन कहते हैं और आईपीओ के दौरान निवेशकों को बेचे गए कंपनी के शेयरों के समान होते हैं.

अगर जुटाए गए पैसे से कंपनी द्वारा जरूरी न्यूनतम फंड पूरा नहीं होता है, तो पैसे को बैकर्स को वापस कर दिया जाएगा. और आईसीओ को असफल कहा जाएगा. अगर फंडिंग की जरूरतें तय की गई समयसीमा के अंदर पूरी कर दी जाती हैं, तो जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल प्रोजेक्ट के लक्ष्यों को हासिल करने में किया जाता है.

इन बातों का रखें ध्यान

जो निवेशक आईसीओ में खरीदारी करना चाहते हैं, उन्हें सबसे पहले क्रिप्टोकरेंसी के क्षेत्र के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए. ज्यादातर आईसीओ के मामलों में, निवेशकों को पहले से मौजूद क्रिप्टोकरेंसी के साथ टोकन खरीदने चाहिएं. इसका मतलब है कि आईसीओ के निवेशक के पास पहले से बिटक्वॉइन या ethereum जैसी करेंसी के लिए बनाया गया क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट होना चाहिए. इसके साथ निवेशक के पास एक वॉलेट होना चाहिए, जो वह कोई भी टोकन या क्रिप्टोकरेंसी किसे कहते है करेंसी रख सकता है, जिसे वे खरीदना चाहते हैं.

एक सवाल यह उठता है कि व्यक्ति जिस आईसीओ में खरीदना चाहते हैं, उनके बारे में कैसे जानकारी हासिल कर सकते हैं. इसके बारे में कोई एक तरीका नहीं है. सबसे अच्छा तरीका है कि रूचि रखने वाले निवेशक नए प्रोडेक्ट्स के बारे में ऑनलाइन पढ़ सकते हैं. आईसीओ के बारे में बड़े स्तर पर खबरें आती हैं, और ऐसी कई जगहें मौजूद हैं, जहां निवेशक नए अवसरों के बारे में पढ़ सकते हैं. ऐसी कई वेबसाइट्स मौजूद हैं, जहां सभी आईसीओ के बारे में डिटेल दी जाती है, जहां निवेशक नए आईसीओ को जान सकते हैं. और अलग-अलग आईसीओ की तुलना भी कर सकते हैं.

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डिजिटल करेंसी क्या होती है आइए इसे समझते हैं ।
digital currency in india बहुत जल्द आने वाली है भारत की डिजिटल करेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी।
भारतीय करेंसी को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी ( सी बी डी सी ) का नाम दिया जाएगा। सीबीडीसी करेंसी को भारतीय रिजर्व बैंक ( R B I ) द्वारा जारी किया जाएगा । इस करेंसी को आरबीआई द्वारा रेगुलेट किया जाएगा । वर्ष 2022-23 में लॉन्च कर क्रिप्टोकरेंसी किसे कहते है दी जाएगी ।

1. डिजिटल करेंसी किसे कहते हैं।

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डिजिटल करेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित एक आभासी करेंसी होती है। यह करेंसी डिजिटल रूप में मौजूद होती है। डिजिटल करेंसी , इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा , ई – कैश , इंटरनेट मनी आदि सभी आभासी धन जैसी संपत्ति है जो कंप्यूटर सिस्टम पर विशेष रूप से इंटरनेट पर संग्रहीत तथा प्रतिबंधित और विनिमय की जाती है ।
आइए कुछ उदाहरण से समझते हैं जैसे वर्तमान में क्रिप्टो करेंसी ( Bitcoin ) ( ethereum ) , NFT जैसी आदि विद्यमान है जो कि ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी पर आधारित है इसको कोई रेगुलेट नहीं करता है । जबकि भारत में लांच होने वाली भारतीय डिजिटल करेंसी को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेगुलेट किया जाएगा । डिजिटल करेंसी को इंटरनेट पर एक वितरित डेटाबेस , किसी कंपनी या बैंक के स्वामित्व वाले एक केंद्रीकृत इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर डेटाबेस , डिजिटल फाइलों के अंदर संग्रहित किया जा सकता है ।भारत में आरबीआई ने डिजिटल करेंसी लांच करने की घोषणा की है जो कि जल्द ही लांच कर दी जाएगी ।जिसका ( CBDC ) डिजिटल रुपैया नाम दिया जाएगा। digital currency in india

2. भारतीय डिजिटल करेंसी ।

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भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल करेंसी वर्ष 2022-23 लाई जाएगी । 1 February के बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने डिजिटल करेंसी को लेकर बहुत बड़ी घोषणा की है । इसमें कहा गया है की भारत की जल्द ही डिजिटल करेंसी लांच की जाएगी । केंद्रीय वित्त मंत्री ने संसद में बजट घोषणा पत्र में स्पष्ट रूप से कह दिया है कि इसी साल भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल करेंसी को लांच कर दी जाएगी । जो कि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी । डिजिटल करेंसी का पूरा नाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करंसी है। इसे सरकारी की मान्यता होगी । यह सेंट्रल बैंक की बैलेंस शीट में शामिल होगी । digital currency in india

3. डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर।

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डिजिटल करेंसी सरकारी मान्यता प्राप्त करेंसी होती है इससे उस देश का केंद्रीय बैंक जारी करता है। जबकि क्रिप्टोकरंसी पर किसी सरकार का अधिकार नहीं होता है । digital currency in india
Bitcoin , ethereum जैसी क्रिप्टो करेंसी डिसेंट्रलाइज्ड हैं । इसे पर किसी सरकार , संस्था या किसी व्यक्ति का स्वामित्व नहीं होता है भारत मैं मार्च से शुरू होने वाले फाइनेंसियल वर्ष से क्रिप्टो करेंसी कमाई पर 30% टैक्स वसूल करेगी भारत सरकार । भारत में अब कागज नोट से पेमेंट करने की जरूरत नहीं पड़ेगी आप डिजिटल करेंसी से भी पेमेंट कर सकेंगे । digital currency in india

4.ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है ।

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ब्लॉकचेन को आसान शब्दों में समझा जाए , ब्लॉकचेन एक तरह से सूचनाओं को रिकॉर्ड करने की एक प्रणाली है जिसमें सिस्टम में सेव डाटा को बदलना , डिलीट करना , हैक करना या धोखा देना मुश्किल और असंभव हो जाता है । ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी अनिवार्य रूप से लेनदेन का एक डिजिटल खाता बुक है जिसे ब्लॉकचेन पर कंप्यूटर सिस्टम के पूरे नेटवर्क में डुप्लीकेट और वितरित किया जाता है । ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से होने वाले लेनदेन रिकॉर्ड अनेकों कंप्यूटर में सेव हो जाते हैं । जिससे बदलना नामुमकिन है । इससे डेटा और अधिक सुरक्षित हो जाता है । ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी डाटा सिक्योरिटी पर काम करती है जिससे हर ब्लाक इंक्रिप्टेड होते हैं और एक दूसरे से इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर सिस्टम से जुड़े होते हैं यह एक तरह से एक्सचेंज प्रोसेस में काम करती है ।

5. डिजिटल करेंसी से सुविधा ।

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यह अन्य करेंसी की तुलना में कम खर्चीली होती है। इसका ट्रांजैक्शन तेज गति से होता है । इसके मुकाबले प्रिंटिंग करेंसी नोटों पर लेन-देन और प्रिंटिंग का खर्च अधिक आता है । डिजिटल करेंसी के लिए किसी व्यक्ति को बैंक अकाउंट की जरूरत नहीं होती है । डिजिटल करेंसी को मैनेज करना आसान होगा । इसे आरबीआई द्वारा मैनेज किया जाएगा ।

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6. खासियते ।

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इसकी खासियत यह होती है इसे देश की सोवरेन करेंसी मैं बदला जा सकता है । इसे हम डिजिटल रुपैया कह सकते हैं डिजिटल करेंसी दो प्रकार की होती है रिटेल और होलसेल करेंसी । रिटेल करेंसी का इस्तेमाल आम लोग और कंपनियां करती है । होलसेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाओं के जरिए किया जाता है । digital currency in india

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